नारियल मानव समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वागत - सम्मान एवं देवपूजन में कलस के ऊपर शोभायमान रहता है। इसे मंगलकारी माना गया है। नारियल का बृक्ष खजूर की तरह काफी ऊँचे होते हैं। इसके पत्ते भी खजूर के पत्ते के सामान ही दिखाई देते है।
अौषधीय गुण
आयुर्वेद के मतानुसार पौस्टिक , बस्तिशोधक , वीर्यबर्धक ,शीतल ,बलकारक , स्वादिष्ट होता है। वाट-पित्त , दाह -पित्त , तृषा , खून के दोष और क्षय रोग के धावों को नष्ट करता है। कफ कारक , पचने में भारी होता है तथा नारियल का पानी जोर एवं मूत्र सम्बन्धी विकारों में बेहद लाभदायक है। नारियल का पानी अधिक मात्र में पीने पर भी हानि नहीं करता। यह रक्त की भी शुद्धि करता है। यकृत सम्बन्धी रोगों में लाभदायक, कृमिनाशक, मूत्रल होता है। नारियल का तेल- पौष्टिक, वात -पित्तनाशक तथा मूत्र सम्बन्धी विकारों को नष्ट करता है। स्मरणशक्ति बढ़ाता है। बालों को बढ़ानेवाला तथा घाव भरने वाला होता है। कमर दर्द, गीली खुजली और सूजन को नष्ट करता है।
मोटापा के रोगी को नारियल का तेल सेवन कराने से शरीर के अंदर की चर्बी कम हो जाती है। वसा, प्रोटीन के अतिरिक्त नारियल की गिरी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, ताम्बा, गंधक, लोहा, पोटैशियम तथा विटामिन- बी काम्प्लेक्स भी होता है। कई तरह की नारियल की मिठाईयां भी बनती है। जो पौष्टिक एवं लाभदायक होती है। गर्भवती महिला नित्य नारियल का सेवन करे तो संतान स्वस्थ एवं सुन्दर होती है।
घरेलु चिकित्सा
शीतला में-- दूध पिने वाले बच्चों की माँ को नारियल की गिरी १ सप्ताह तक सेवन कराने से बच्चे को शीतला के प्रकोप के दिनों में बचाव होता है।
गर्भाशय की पीड़ा में -- प्रशव के पश्चात गर्भाशय में पीड़ा होती हो तो नारियल गिरी खिलाने से लाभ होता है।
हैजा की उलटी में-- हैजा की उलटी में किसी औषधि से उलटी बंद नहीं होती हो तो नारियल का पानी पिलाने से शीघ्र लाभ होता है। उलटी होना बंद हो जाता है। शरीर में खनिज लवणों एवं जल की पूर्ति हो जाती है।
हिचकी में-- नारियल फल की जटा की भस्म ५ ग्राम लेकर १ गिलास पानी में घोलकर उस पानी को निथारकर पिलाने से हिचकी बंद हो जाती है।
त्वचा के जलन पर-- नारियल के दूध को नारियल तेल में मिलाकर औटाकर उसे ठंडा कर लें। जलीहुई त्वचा पर इसे लगाने से घाव जल्दी भरता है। नई त्वचा का निर्माण शीघ्रता से होता है।
फेफड़े के क्षय रोग में-- ताज़े नारियल को पानी में पीसकर उसका दूध बनाकर नियमित पिलाने से कफ क्षय रोगी को लाभ मिलता है।
मलेरिआ में --नारियल का पानी २०० मी. ली. दिन में ३-४ बार पिलाना चाहिए।
मूत्र विकार एवं पथरी में --मूत्र सम्बन्धी विकार , जलन , पेशाव का पीलापन , एवं मूत्राशय की पथरी सम्बन्धी रोगों में नारियल का पानी प्रतिदिन २-३ बार नियमित पिने से लाभ होता है। मूत्र में जालान हो तो धनिया के बीजों को पीसकर मिलालेने से शीघ्र लाभ होता है।
उच्च रक्तचाप में-- उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए नारियल का पानी नितमित सेवन करना चाहिए।
गर्भावस्ता की उलटी में-- भोजन के बाद गर्भवती को उलटी होने की प्रवृत्ति कभी कभी ५-६ माह तक भी भारी रहती है। ऐसी स्थिति में नारियल का पानी पीकर सौंफचूर्ण को पीसीहुई मिसरी के साथ १ चम्मच मात्र में मुँह में डालकर चूसना चाहिए।
गर्मी से बचाव में-- गर्मी के समय नारियल का पानी पर्याप्त मात्रा में पिने से लू नहीं लगती तथा मानसिक शांति मिलती है। शरीर की अनावश्यक गर्मी बाहर निकालने में मदद मिलती है।
खाज- खुजली में-- नारियल का तेल थोड़ा सा कपूर मिलाकर त्वचापर लगाने से खाज-खुजली दूर होती है। नारियल गिरी नित्य सेवन करने से भी लाभ होता है।
पित्तज व्याधियों (एसिडिटी ) में-- पित्त दोषों, अम्लपित्त, रक्त विकार, प्यास, उलटी, दस्त इत्यादि में नित्य कच्चा नारियल मिसरी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
संधिवात में-- संधिवात के रोगी को नित्य ५० ग्राम नारियल गिरी १० ग्राम गुड के साथ खूब चबाकर सेवन करना चाहिए।
चूहे के काटने पर-- चूहे के काटने पर विषैले प्रभाव को दूर करने के लिए बेस्वाद हुए नारियल गिरी को मूली के रस में घिसकर लेप करने से विषैली कुप्रभाव दूर होता है।
प्रमेह रोगों में-- जल प्रमेह, शुक्रमेह इत्यादि प्रमेह रोगों में स्त्री-पुरुष दोनों के लिए नारियल पाक लाभप्रद होता है। नारियल पाक २० प्रकार के प्रमेह रोगों में लाभकारी है, जो पौष्टिक एवं रोग निवारक भी है।
आधा किलो नारियल गिरी को कस लें। ४ कील गोदुग्ध में डालकर औटाएं। जब मावा बन जाए उसमें ३०० ग्राम गाय का घी डालकर धीमी आग पर भून लें, उसमें १५० ग्राम बादाम मींगी पीसकर मिला दें। सवा किलो मिसरी की चाशनी बना कर उसमें नारियल एवं बादाम मिश्रित मावा मिलाकर बरफी की तरह थालों में जमा दें। ५० ग्राम पिस्ता उपर से बुरक दें। यह नारियल पाक १० ग्राम नियमित सेवन करें।
रक्तार्श एवं बादी बवासीर में-- नारियल की जटा को जलाकर भस्म बनाकर छानकर रखें। यह ५ ग्राम भस्म गाय के दूध से बने ताजे दही २०० ग्राम या जल में मिलाकर ५ दिनों तक दिन में ३ बार सेवन करने से लाभ मिलता है। ५ दिनों तक केवल दही की लस्सी के अतिरिक्त दूसरा कोई आहार न लें। अधिकांश रोगियों को इस नुस्खे से दोनों प्रकार के बवासीर में लाभ मिल जाता है। पचने में गरिष्ठ खाद्य उड़द, अरबी, नमकीन, मैदा, बेसन, कढ़ी, पूड़ी, पकौड़ी तथा आचार, मिर्च-मसालों से परहेज रखें। ताजे मठा का सेवन नित्य करें।
रेशे की पूर्ति के लिए सलाद, फल एवं हरी सब्जियों का नियमित सेवन कीजिये। कब्ज न रहे इस बात का जीवन भर ध्यान रखिये। चोकर सहित आटे की रोटी का सेवन करें।
बालों के रोगों में-- नारियल तेल बालों में लगाने से बाल स्वस्थ, काले, घने और मजबूत बनते हैं।
संग्रहणी में-- संग्रहणी के कष्ट को दूर करने के लिए यह एक आसान नुस्खा है। नारियल गिरी, बेल गिरी और सोंठ तीनों ५०-५० ग्राम लेकर महीन चूर्ण बनाकर १५० ग्राम गुड की चाशनी बनाकर उसमें तीनों का चूर्ण मिलाकर छोटे-छोटे लगभग १०-१० ग्राम के लड्डू बना लें। यह लड्डू सुबह शाम एक गिलास छाछ के साथ नियमित सेवन करने से भयंकर संग्रहणी डॉ होती है।
स्वास सम्बन्धी विकारों में-- नारियल की जटा की भस्म आधा ग्राम लेकर शहद के साथ सेवन कराने से शीघ्र लाभ मिलता है।
आधा किलो नारियल गिरी को कस लें। ४ कील गोदुग्ध में डालकर औटाएं। जब मावा बन जाए उसमें ३०० ग्राम गाय का घी डालकर धीमी आग पर भून लें, उसमें १५० ग्राम बादाम मींगी पीसकर मिला दें। सवा किलो मिसरी की चाशनी बना कर उसमें नारियल एवं बादाम मिश्रित मावा मिलाकर बरफी की तरह थालों में जमा दें। ५० ग्राम पिस्ता उपर से बुरक दें। यह नारियल पाक १० ग्राम नियमित सेवन करें।
रक्तार्श एवं बादी बवासीर में-- नारियल की जटा को जलाकर भस्म बनाकर छानकर रखें। यह ५ ग्राम भस्म गाय के दूध से बने ताजे दही २०० ग्राम या जल में मिलाकर ५ दिनों तक दिन में ३ बार सेवन करने से लाभ मिलता है। ५ दिनों तक केवल दही की लस्सी के अतिरिक्त दूसरा कोई आहार न लें। अधिकांश रोगियों को इस नुस्खे से दोनों प्रकार के बवासीर में लाभ मिल जाता है। पचने में गरिष्ठ खाद्य उड़द, अरबी, नमकीन, मैदा, बेसन, कढ़ी, पूड़ी, पकौड़ी तथा आचार, मिर्च-मसालों से परहेज रखें। ताजे मठा का सेवन नित्य करें।
रेशे की पूर्ति के लिए सलाद, फल एवं हरी सब्जियों का नियमित सेवन कीजिये। कब्ज न रहे इस बात का जीवन भर ध्यान रखिये। चोकर सहित आटे की रोटी का सेवन करें।
बालों के रोगों में-- नारियल तेल बालों में लगाने से बाल स्वस्थ, काले, घने और मजबूत बनते हैं।
संग्रहणी में-- संग्रहणी के कष्ट को दूर करने के लिए यह एक आसान नुस्खा है। नारियल गिरी, बेल गिरी और सोंठ तीनों ५०-५० ग्राम लेकर महीन चूर्ण बनाकर १५० ग्राम गुड की चाशनी बनाकर उसमें तीनों का चूर्ण मिलाकर छोटे-छोटे लगभग १०-१० ग्राम के लड्डू बना लें। यह लड्डू सुबह शाम एक गिलास छाछ के साथ नियमित सेवन करने से भयंकर संग्रहणी डॉ होती है।
स्वास सम्बन्धी विकारों में-- नारियल की जटा की भस्म आधा ग्राम लेकर शहद के साथ सेवन कराने से शीघ्र लाभ मिलता है।
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